॥ श्री गणेशाय नमः ॥ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः ॥
॥ श्री स्वामी समर्थ जय जय स्वामी समर्थ ॥
अक्कलकोट-निवासी अद्भुत स्वामी समर्था अवधुता । सिद्ध-अनादि रूप-अनादि अनामया तू अव्यक्ता ।
अकार अकुला अमल अतुल्या अचलोपम तू अनिन्दिता । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१॥
अगाधबुद्धी अनंतविक्रम अनुत्तमा जय अतवर्या । अमर अमृता अच्युत यतिवर अमित विक्रमा तपोमया ।
अजर सुरेश्वर सुहृद सुधाकर अखंड अर्था सर्वमया । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥२॥
अनल अश्विनी अर्चित अनिला ओजस्तेजो-द्युती-धरा । अंतःसाक्षी अनंतआत्मा अंतर्योगी अगोचरा ।
अंतस्त्यागी अंतर्भोगी अनुपमेय हे अतिंद्रिया । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३॥
अमुख अमुख्या अकाल अनघा अक्षर आद्या अभिरामा । लोकत्रयाश्रय लोकसमाश्रय बोधसमाश्रय हेमकरा ।
अयोनी-संभव आत्मसंभवा भूत-संभवा आदिकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥४॥
त्रिविधतापहर जगज्जीवना विराटरूपा निरंजना । भक्तकामकल्पद्रुम ऊर्ध्वा अलिप्त योगी शुभानना ।
संगविवर्जित कर्मविवर्जित भावविनिर्गत परमेशा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥५॥
ऊर्जितशासन नित्य सुदर्शन शाश्वत पावन गुणाधिपा । दुर्लभ दुर्धर अधर धराधर श्रीधर माधव परमतपा ।
कलिमलदाहक संगरतारक मुक्तिदायक घोरतपा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥६॥
निस्पृह निरलस निश्चल निर्मल निराभास नभ नराधिपा । सिद्ध चिदंबर छंद दिगंबर शुद्ध शुभंकर महातपा ।
चिन्मय चिद्घन चिद्गति सद्गति मुक्तिसद्गति दयावरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥७॥
धरणीनंदन भूमीनंदन सूक्ष्म सुलक्षण कृपाघना । काल कलि कालात्मा कामा कला कनिष्ठा कृतयज्ञा ।
कृतज्ञ कुंभा कर्ममोचना करुणाघन जय तपोवरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥८॥
कामदेव कामप्रद कुंदा कामपाल कामघ्निकारणा । कालकंटका काळपूजिता क्रम कळिकाळा काळनाशना ।
करुणाकर कृतकर्मा कर्ता कालांतक जय करुणाब्धे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥९॥
करुणासागर कृपासागरा कृतलक्षण कृत कृताकृते । कृतांतवत् कृतनाश कृतात्मा कृतांतकृत हे काल-कृते ।
कमंडलूकर कमंडलूधर कमलाक्षा जय क्रोधघ्ने । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥१०॥
गोचर गुप्ता गगनाधारा गुहा गिरीशा गुरुत्तमा । कर्मकालविद् कुंडलिने जय कामजिता कृश कृतागमा ।
कालदर्पणा कुमुदा कथिता कर्माध्यक्षा कामवते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥११॥
अनंत गुणपरिपूर्ण अग्रणी अशोक अंबुज अविनाशा । अहोरात्र अतिधूम्र अरूपा अपर अलोका अनिमिषा ।
अनंतवेषा अनंतरूपा करुणाघन करुणागारा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१२॥
जीव जगत् जगदीश जनेश्वर जगदादिज जगमोहन रे । जगन्नाथ जितकाम जितेंद्रिय जितमानस तूं जंगम रे ।
जरारहित जितप्राण जगत्पति ज्येष्ठा जनका दातारा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१३॥
चला चंद्र-सूर्याग्निलोचना चिदाकाश चैतन्य चरा । चिदानंद चलनांतक चैत्रा चंद्र चतुर्भुज चक्रकरा ।
गुणौषधा गुह्येश गिरीरुह गुणेश गुह्योत्तम घोरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१४॥
गुणभावन गणबांधव गुह्या गुणगंभीरा गर्वहरा । गुरु गुणरागविहीन गुणांतक गंभीरस्वर गंभीरा ।
गुणातीत गुणकरा गोहिता गणा गणकरा गुणबुद्धे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥१५॥
एका एकपदा एकात्मा चेतनरूपा चित्तात्मा । चारुगात्र तेजस्वी दुर्गम निगमागम तूं चतुरात्मा ।
चारुलिंग चंद्रांशू उग्रा निरालंब निर्मोही निधे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥१६॥
धीपति श्रीपति देवाधिपति पृथ्वीपति भवतापहरे । धेनुप्रिय ध्रुव धीर धनेश्वर धाता दाता श्री नृहरे ।
देव दयार्णव दम-दर्पध्नि प्रदीप्तमूर्ते यक्षपते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥१७॥
ब्रह्मसनातन पुरुषपुरातन पुराणपुरुषा दिग्वासा । धर्मविभूषित ध्यानपरायण धर्मधरोत्तम प्राणेशा ।
त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ती तारक त्रिशूळधारी तीर्थकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१८॥
भावविवर्जित भोगविवर्जित भेदत्रयहर भुवनेशा । मायाचक्रप्रवर्तित मंत्रा वरद विरागी सकलेशा ।
सर्वानंदपरायण सुखदा सत्यानंदा निशाकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१९॥
विश्वनाथ वटवृक्ष विरामा विश्वस्वरूपा विश्वपते । विश्वचालका विश्वधारका विश्वाधारा प्रजापते ।
भेदांतक निशिकांत भवारि द्विभुज दिविस्पृश परमनिधे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२०॥
विश्वरक्षका विश्वनायका विषयविमोही विश्वरते । विशुद्ध शाश्वत निगम निराशय निमिष निरवधि गूढरते ।
अविचल अविरत प्रणव प्रशांता चित्चैतन्या घोषरते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२१॥
ब्रह्मासदृश स्वयंजात बुध ब्रह्मभाव बलवान महा । ब्रह्मरूप बहुरूप भूमिजा प्रसन्नवदना युगावहा ।
युगाधिराजा भक्तवत्सला पुण्यश्लोका ब्रह्मविदे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२२॥
सुरपति भूपति भूत-भुवनपति अखिल-चराचर-वनस्पते । उद्भिजकारक अंडजतारक योनिज-स्वेदज-सृष्टिपते ।
त्रिभुवनसुंदर वंद्य मुनीश्वर मधुमधुरेश्वर बुद्धिमते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२३॥
दुर्मर्षण अघमर्षण हरिहर नरहर हर्ष-विमर्षण रे । सिंधू-बिंदू-इंदु चिदुत्तम गंगाधर प्रलयंकर रे ।
जलधि जलद जलजन्य जलधरा जलचरजीव जलाशय रे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२४॥
गिरीश गिरिधर गिरीजाशंकर गिरिकंदर हे गिरिकुहरा । शिव शिव शंकर शंभो हरहर शशिशेखर हे गिरीवरा ।
उन्नत उज्ज्वल उत्कट उत्कल उत्तम उत्पल ऊर्ध्वगते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२५॥
भव-भय-भंजन भास्वर भास्कर भस्मविलेपित भद्रमुखे । भैरव भैगुण भवधि भवाशय भ्रम-विभ्रमहर रुद्रमुखे ।
सुरवरपूजित मुनिजनवंदित दीनपरायण भवौषधे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२६॥
कोटीचंद्र सुशीतल शांता शतानंद आनंदमया । कामारि शितिकंठ कठोरा प्रमथाधिपते गिरिप्रिया ।
ललाटाक्ष विरुपाक्ष पिनाकी त्रिलोकेश श्री महेश्वरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥२७॥
भुजंगभूषण सोम सदाशिव सामप्रिय हरि कपर्दिने । भस्मोध्दूलितविग्रह हविषा दक्षाध्वरहर त्रिलोचने ।
विष्णुवल्लभा नीललोहिता वृषांक शर्वा अनीश्वरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥२८॥
वामदेव कैलासनिवासी वृषभारूढा विषकंठा । शिष्ट विशिष्टा त्वष्टा सुष्टा श्रेष्ठ कनिष्ठा शिपिविष्टा ।
इष्ट अनिष्टा तुष्टातुष्टा तूच प्रगटवी ऋतंभरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥२९॥
श्रीकर श्रेया वसुर्वसुमना धन्य सुमेधा अनिरुद्धा । सुमुख सुघोषा सुखदा सूक्ष्मा सुहृद मनोहर सत्कर्ता ।
स्कन्दा स्कन्दधरा वृद्धात्मा शतावर्त शाश्वत स्थिरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३०॥
सुरानंद गोविंद समीरण वाचस्पति मधु मेधावी । हंस सुपर्णा हिरण्यनाभा पद्मनाभ केशवा हवी ।
ब्रह्मा ब्रह्मविवर्धन ब्रह्मी सुंदर सिद्धा सुलोचना । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३१॥
घन घननीळ सघन घननादा घनःश्याम घनघोर नभा । मेघा मेघःश्याम शुभांगा मेघस्वन मनभोर विभा ।
धूम्रवर्ण धूम्रांबर धूम्रा धूम्रगंध धूम्रातिशया । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३२॥
महाकाय मनमोहन मंत्रा महामंत्र हे महद्रुपा । त्रिकालज्ञ हे त्रिशूलपाणि त्रिपादपुरुषा त्रिविष्टपा ।
दुर्जनदमना दुर्गुणशमना दुर्मतिमर्षण दुरितहरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३३॥
प्राणापाना व्यान उदाना समान गुणकर व्याधिहरा । ब्रह्मा विष्णू रुद्र इंद्र तूं अग्नि वायू सूर्य चंद्रमा ।
देहत्रयातीत कालत्रयातीत गुणातीत तूं गुरुवरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३४॥
मत्स्य कूर्म तू वराह शेषा वामन परशूराम महान । पंढरी विठ्ठल गिरिवर विष्णू रामकृष्ण तू श्री हनुमान ।
तूच भवानी काली अंबा गौरी दुर्गा शक्तिवरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३५॥
सर्वेश्वरवर अमलेश्वरवर भीमाशंकर आत्माराम । त्रिलोकपावन पतीतपावन रघुपति राघव राजाराम ।
ओंकारेश्वर केदारेश्वर वृद्धेश्वर तू अभयकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३६॥
शेषाभरणा शेषभूषणा शेषाशायी महोदधे । पूर्णानंदा पूर्ण परेशा षड्भुज यतिवर गुरुमूर्ते ।
शाश्वतमूर्ते षड्भुजमूर्ते अखिलांतक पतितोद्धारा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३७॥
सभा सभापति व्रात व्रातपति ककुभ निषङ्गी हरिकेशा । शिवा शिवतरा शिवतम षङ्गा भेषजग्रामा मयस्करा ।
उर्वि उर्वरा द्विपद चतुष्पद पशुपति पथिपति अन्नपते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥३८॥
वृक्ष वृक्षपति गिरिचर स्थपति वाणिज मंत्रि कक्षपति । अश्व अश्वपति सेनानी रथि रथापती दिशापती ।
श्रुत श्रुतसेना शूर दुंदुभि वनपति शर्वा इषुधिमते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥३९॥
महाकल्प कालाक्ष आयुधा सुखद दर्पदा गुणभृता । गोपतनु देवेश पवित्रा सात्त्विक साक्षी निर्वासा ।
स्तुत्या विभवा सुकृत त्रिपदा चतुर्वेदविद समाहिता । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥४०॥
नक्ता मुक्ता स्थिर नर धर्मी सहस्रशीर्षा तेजिष्ठा । कल्पतरू प्रभू महानाद गति खग रवि दिनमणि तू सविता ।
दांत निरंतर सांत निरंता अशीर्य अक्षय अव्यथिता । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥४१॥
अंतर्यामी अंतर्ज्ञानी अंतःस्थित नित अंतःस्था । ज्ञानप्रवर्तक मोहनिवर्तक तत्त्वमसि खलु स्वानुभवा ।
पद्मपाद पद्मासन पद्मा पद्मानन हे पद्मकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥४२॥
॥ जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥
॥ जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥
॥ श्री गुरुदेव दत्त ॥ श्री गुरुदेव दत्त ॥
॥ श्री स्वामी समर्थ महाराज की जय ॥
रचनाकार - श्रीयुत् नागेश करंबेळकर
No comments:
Post a Comment