Nov 12, 2021

अक्कलकोटनिवासी श्रीसद्‌गुरु स्वामी समर्थ सहस्रनाम


॥ श्री गणेशाय नमः ॥ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः ॥

॥ श्री स्वामी समर्थ जय जय स्वामी समर्थ ॥


अक्कलकोट-निवासी अद्भुत स्वामी समर्था अवधुता । सिद्ध-अनादि रूप-अनादि अनामया तू अव्यक्ता ।

अकार अकुला अमल अतुल्या अचलोपम तू अनिन्दिता । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१॥


अगाधबुद्धी अनंतविक्रम अनुत्तमा जय अतवर्या । अमर अमृता अच्युत यतिवर अमित विक्रमा तपोमया ।

अजर सुरेश्वर सुहृद सुधाकर अखंड अर्था सर्वमया । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥२॥


अनल अश्विनी अर्चित अनिला ओजस्तेजो-द्युती-धरा । अंतःसाक्षी अनंतआत्मा अंतर्योगी अगोचरा ।

अंतस्त्यागी अंतर्भोगी अनुपमेय हे अतिंद्रिया । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३॥


अमुख अमुख्या अकाल अनघा अक्षर आद्या अभिरामा । लोकत्रयाश्रय लोकसमाश्रय बोधसमाश्रय हेमकरा ।

अयोनी-संभव आत्मसंभवा भूत-संभवा आदिकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥४॥


त्रिविधतापहर जगज्जीवना विराटरूपा निरंजना । भक्तकामकल्पद्रुम ऊर्ध्वा अलिप्त योगी शुभानना ।

संगविवर्जित कर्मविवर्जित भावविनिर्गत परमेशा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥५॥


ऊर्जितशासन नित्य सुदर्शन शाश्वत पावन गुणाधिपा । दुर्लभ दुर्धर अधर धराधर श्रीधर माधव परमतपा ।

कलिमलदाहक संगरतारक मुक्तिदायक घोरतपा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥६॥


निस्पृह निरलस निश्चल निर्मल निराभास नभ नराधिपा । सिद्ध चिदंबर छंद दिगंबर शुद्ध शुभंकर महातपा ।

चिन्मय चिद्घन चिद्गति सद्गति मुक्तिसद्गति दयावरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥७॥


धरणीनंदन भूमीनंदन सूक्ष्म सुलक्षण कृपाघना । काल कलि कालात्मा कामा कला कनिष्ठा कृतयज्ञा ।

कृतज्ञ कुंभा कर्ममोचना करुणाघन जय तपोवरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥८॥


कामदेव कामप्रद कुंदा कामपाल कामघ्निकारणा । कालकंटका काळपूजिता क्रम कळिकाळा काळनाशना ।

करुणाकर कृतकर्मा कर्ता कालांतक जय करुणाब्धे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥९॥


करुणासागर कृपासागरा कृतलक्षण कृत कृताकृते । कृतांतवत् कृतनाश कृतात्मा कृतांतकृत हे काल-कृते ।

कमंडलूकर कमंडलूधर कमलाक्षा जय क्रोधघ्ने । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥१०॥


गोचर गुप्ता गगनाधारा गुहा गिरीशा गुरुत्तमा । कर्मकालविद् कुंडलिने जय कामजिता कृश कृतागमा ।

कालदर्पणा कुमुदा कथिता कर्माध्यक्षा कामवते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥११॥


अनंत गुणपरिपूर्ण अग्रणी अशोक अंबुज अविनाशा । अहोरात्र अतिधूम्र अरूपा अपर अलोका अनिमिषा ।

अनंतवेषा अनंतरूपा करुणाघन करुणागारा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१२॥


जीव जगत् जगदीश जनेश्वर जगदादिज जगमोहन रे । जगन्नाथ जितकाम जितेंद्रिय जितमानस तूं जंगम रे ।

जरारहित जितप्राण जगत्पति ज्येष्ठा जनका दातारा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१३॥


चला चंद्र-सूर्याग्निलोचना चिदाकाश चैतन्य चरा । चिदानंद चलनांतक चैत्रा चंद्र चतुर्भुज चक्रकरा ।

गुणौषधा गुह्येश गिरीरुह गुणेश गुह्योत्तम घोरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१४॥


गुणभावन गणबांधव गुह्या गुणगंभीरा गर्वहरा । गुरु गुणरागविहीन गुणांतक गंभीरस्वर गंभीरा ।

गुणातीत गुणकरा गोहिता गणा गणकरा गुणबुद्धे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥१५॥


एका एकपदा एकात्मा चेतनरूपा चित्तात्मा । चारुगात्र तेजस्वी दुर्गम निगमागम तूं चतुरात्मा ।

चारुलिंग चंद्रांशू उग्रा निरालंब निर्मोही निधे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥१६॥


धीपति श्रीपति देवाधिपति पृथ्वीपति भवतापहरे । धेनुप्रिय ध्रुव धीर धनेश्वर धाता दाता श्री नृहरे ।

देव दयार्णव दम-दर्पध्नि प्रदीप्तमूर्ते यक्षपते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥१७॥


ब्रह्मसनातन पुरुषपुरातन पुराणपुरुषा दिग्वासा । धर्मविभूषित ध्यानपरायण धर्मधरोत्तम प्राणेशा ।

त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ती तारक त्रिशूळधारी तीर्थकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१८॥


भावविवर्जित भोगविवर्जित भेदत्रयहर भुवनेशा । मायाचक्रप्रवर्तित मंत्रा वरद विरागी सकलेशा ।

सर्वानंदपरायण सुखदा सत्यानंदा निशाकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥१९॥


विश्वनाथ वटवृक्ष विरामा विश्वस्वरूपा विश्वपते । विश्वचालका विश्वधारका विश्वाधारा प्रजापते ।

भेदांतक निशिकांत भवारि द्विभुज दिविस्पृश परमनिधे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२०॥


विश्वरक्षका विश्वनायका विषयविमोही विश्वरते । विशुद्ध शाश्वत निगम निराशय निमिष निरवधि गूढरते ।

अविचल अविरत प्रणव प्रशांता चित्चैतन्या घोषरते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२१॥


ब्रह्मासदृश स्वयंजात बुध ब्रह्मभाव बलवान महा । ब्रह्मरूप बहुरूप भूमिजा प्रसन्नवदना युगावहा ।

युगाधिराजा भक्तवत्सला पुण्यश्लोका ब्रह्मविदे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२२॥


सुरपति भूपति भूत-भुवनपति अखिल-चराचर-वनस्पते । उद्भिजकारक अंडजतारक योनिज-स्वेदज-सृष्टिपते ।

त्रिभुवनसुंदर वंद्य मुनीश्वर मधुमधुरेश्वर बुद्धिमते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२३॥


दुर्मर्षण अघमर्षण हरिहर नरहर हर्ष-विमर्षण रे । सिंधू-बिंदू-इंदु चिदुत्तम गंगाधर प्रलयंकर रे ।

जलधि जलद जलजन्य जलधरा जलचरजीव जलाशय रे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२४॥


गिरीश गिरिधर गिरीजाशंकर गिरिकंदर हे गिरिकुहरा । शिव शिव शंकर शंभो हरहर शशिशेखर हे गिरीवरा ।

उन्नत उज्ज्वल उत्कट उत्कल उत्तम उत्पल ऊर्ध्वगते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२५॥


भव-भय-भंजन भास्वर भास्कर भस्मविलेपित भद्रमुखे । भैरव भैगुण भवधि भवाशय भ्रम-विभ्रमहर रुद्रमुखे ।

सुरवरपूजित मुनिजनवंदित दीनपरायण भवौषधे । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥२६॥


कोटीचंद्र सुशीतल शांता शतानंद आनंदमया । कामारि शितिकंठ कठोरा प्रमथाधिपते गिरिप्रिया ।

ललाटाक्ष विरुपाक्ष पिनाकी त्रिलोकेश श्री महेश्वरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥२७॥


भुजंगभूषण सोम सदाशिव सामप्रिय हरि कपर्दिने । भस्मोध्दूलितविग्रह हविषा दक्षाध्वरहर त्रिलोचने ।

विष्णुवल्लभा नीललोहिता वृषांक शर्वा अनीश्वरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥२८॥


वामदेव कैलासनिवासी वृषभारूढा विषकंठा । शिष्ट विशिष्टा त्वष्टा सुष्टा श्रेष्ठ कनिष्ठा शिपिविष्टा ।

इष्ट अनिष्टा तुष्टातुष्टा तूच प्रगटवी ऋतंभरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥२९॥


श्रीकर श्रेया वसुर्वसुमना धन्य सुमेधा अनिरुद्धा । सुमुख सुघोषा सुखदा सूक्ष्मा सुहृद मनोहर सत्कर्ता ।

स्कन्दा स्कन्दधरा वृद्धात्मा शतावर्त शाश्वत स्थिरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३०॥


सुरानंद गोविंद समीरण वाचस्पति मधु मेधावी । हंस सुपर्णा हिरण्यनाभा पद्मनाभ केशवा हवी ।

ब्रह्मा ब्रह्मविवर्धन ब्रह्मी सुंदर सिद्धा सुलोचना । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३१॥


घन घननीळ सघन घननादा घनःश्याम घनघोर नभा । मेघा मेघःश्याम शुभांगा मेघस्वन मनभोर विभा ।

धूम्रवर्ण धूम्रांबर धूम्रा धूम्रगंध धूम्रातिशया । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३२॥


महाकाय मनमोहन मंत्रा महामंत्र हे महद्रुपा । त्रिकालज्ञ हे त्रिशूलपाणि त्रिपादपुरुषा त्रिविष्टपा ।

दुर्जनदमना दुर्गुणशमना दुर्मतिमर्षण दुरितहरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३३॥


प्राणापाना व्यान उदाना समान गुणकर व्याधिहरा । ब्रह्मा विष्णू रुद्र इंद्र तूं अग्नि वायू सूर्य चंद्रमा ।

देहत्रयातीत कालत्रयातीत गुणातीत तूं गुरुवरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३४॥


मत्स्य कूर्म तू वराह शेषा वामन परशूराम महान । पंढरी विठ्ठल गिरिवर विष्णू रामकृष्ण तू श्री हनुमान ।

तूच भवानी काली अंबा गौरी दुर्गा शक्तिवरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३५॥


सर्वेश्वरवर अमलेश्वरवर भीमाशंकर आत्माराम । त्रिलोकपावन पतीतपावन रघुपति राघव राजाराम ।

ओंकारेश्वर केदारेश्वर वृद्धेश्वर तू अभयकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३६॥


शेषाभरणा शेषभूषणा शेषाशायी महोदधे । पूर्णानंदा पूर्ण परेशा षड्भुज यतिवर गुरुमूर्ते ।

शाश्वतमूर्ते षड्भुजमूर्ते अखिलांतक पतितोद्धारा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥३७॥


सभा सभापति व्रात व्रातपति ककुभ निषङ्गी हरिकेशा । शिवा शिवतरा शिवतम षङ्गा भेषजग्रामा मयस्करा ।

उर्वि उर्वरा द्विपद चतुष्पद पशुपति पथिपति अन्नपते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥३८॥


वृक्ष वृक्षपति गिरिचर स्थपति वाणिज मंत्रि कक्षपति । अश्व अश्वपति सेनानी रथि रथापती दिशापती ।

श्रुत श्रुतसेना शूर दुंदुभि वनपति शर्वा इषुधिमते । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपानिधे ॥३९॥


महाकल्प कालाक्ष आयुधा सुखद दर्पदा गुणभृता । गोपतनु देवेश पवित्रा सात्त्विक साक्षी निर्वासा ।

स्तुत्या विभवा सुकृत त्रिपदा चतुर्वेदविद समाहिता । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥४०॥


नक्ता मुक्ता स्थिर नर धर्मी सहस्रशीर्षा तेजिष्ठा । कल्पतरू प्रभू महानाद गति खग रवि दिनमणि तू सविता ।

दांत निरंतर सांत निरंता अशीर्य अक्षय अव्यथिता । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥४१॥


अंतर्यामी अंतर्ज्ञानी अंतःस्थित नित अंतःस्था । ज्ञानप्रवर्तक मोहनिवर्तक तत्त्वमसि खलु स्वानुभवा ।

पद्मपाद पद्मासन पद्मा पद्मानन हे पद्मकरा । जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा ॥४२॥


जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा

जय गुणवंता निज भगवंता स्वामी समर्था कृपाकरा

श्री गुरुदेव दत्त श्री गुरुदेव दत्त

श्री स्वामी समर्थ महाराज की जय


रचनाकार - श्रीयुत् नागेश करंबेळकर



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