Oct 8, 2020

श्रीपाद श्रीवल्लभ चरित्रामृत



॥ श्री गणेशाय नम: ॥ ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः ॥ 

॥  श्रीपादराजं  शरणं  प्रपद्ये  ॥

॥ॐ  सर्वजगद्रक्षाय  गुरु  दत्तात्रेयाय  श्रीपाद  श्रीवल्लभ  परमात्मने  नम: ॥

॥  दिगंबरा  दिगंबरा  श्रीपाद  श्रीवल्लभ  दिगंबरा  ॥


*** मूळ  ग्रंथ  रचनाकार  - श्री  शंकर  भट ***


*** मराठी अनुवाद - श्री. हरिभाऊ  जोशी  निटूरकर  ( भाऊ  महाराज ) ***


श्रीपाद श्रीवल्लभ चरित्रामृत ग्रंथाच्या प्रत्येक अध्याय-पठणाचे फल

  • अध्याय १ - घरात शांती नांदते, सुखाची प्राप्ती
  • अध्याय २ - मन:क्लेश निवारण
  • अध्याय ३ - नागदोष निवारण, संतान-प्रतिबंधक-दोष निवारण
  • अध्याय ४ - मुलींना योग्य वर प्राप्ती, गुरुनिंदा-दोष-निवारण
  • अध्याय ५ - विघ्नें दूर होण्यास, देवता कोपापासून मुक्ती
  • अध्याय ६ - पितृ शापापासून निवृत्ती
  • अध्याय ७ - अज्ञान निवृत्ती, विवेक प्राप्ती
  • अध्याय ८ - संतानप्राप्ती, लक्ष्मी-कृपा-कटाक्ष लाभ
  • अध्याय ९ - प्रारब्ध-कर्म-नाश
  • अध्याय १० - दुर्भाग्य-नाश
  • अध्याय ११ - दुर्गुणापासून मुक्ती
  • अध्याय १२ - शरीरारोग्य प्राप्ती
  • अध्याय १३ - व्यवसाय वृद्धी, पशु- वृद्धी
  • अध्याय १४ - आपदा-निवारण, उत्साह- वृद्धी
  • अध्याय १५ - अकारण कलह निवारण, पूर्व जन्म कृत दोष निवारण
  • अध्याय १६ - धनाकर्षण- शक्ती - वृद्धी
  • अध्याय १७ - सिद्धपुरुषांचे आशिर्वाद
  • अध्याय १८ - पापकर्मांचा नाश, भाग्य वृद्धी
  • अध्याय १९ - मानसिक क्लेश निवारण
  • अध्याय २० - कष्ट-नष्ट-निवारण
  • अध्याय २१ - आध्यात्मिक लाभ, पुण्य वृद्धी
  • अध्याय २२ - कर्मदोष निवारण
  • अध्याय २३ - ऐश्वर्यप्राप्ती
  • अध्याय २४ - दांपत्य-सुख
  • अध्याय २५ - आर्थिक समस्या नाशक
  • अध्याय २६ - दुर्दैव नाशक, संतान प्राप्ती
  • अध्याय २७ - ऐश्वर्य लक्ष्मी प्राप्ती
  • अध्याय २८ - विवाह अनुकूल व शीघ्र होण्यासाठी
  • अध्याय २९ - पितृदेवतांचे आशिर्वाद
  • अध्याय ३०- उज्वल भविष्य होण्यासाठी
  • अध्याय ३१ - विद्या,ऐश्वर्य यांची प्राप्ती
  • अध्याय ३२ - सद्गुरु प्राप्ती
  • अध्याय ३३ - अनुकुल विवाह होण्यासाठी
  • अध्याय ३४ - ऋण मोचनासाठी
  • अध्याय ३५ - वाक्-सिद्धीसाठी
  • अध्याय ३६ - अनुकूल दाम्पत्य जीवनासाठी
  • अध्याय ३७ - जीवनात स्थैर्य
  • अध्याय ३८ - आत्मस्थैर्य
  • अध्याय ३९ - सर्प दोष-निवारण
  • अध्याय ४० - असाध्य कार्यात यश मिळण्यासाठी
  • अध्याय ४१ - लोकनिंदा-परिहारार्थ
  • अध्याय ४२ - हरवलेले मूल सापडण्यास
  • अध्याय ४३ - अष्टैश्वर्य प्राप्ती
  • अध्याय ४४ - उज्ज्वल भविष्यासाठी
  • अध्याय ४५ - सर्व क्षेत्रात वृद्धीसाठी
  • अध्याय ४६ - त्वरित विवाहयोग
  • अध्याय ४७ - सर्व शुभफल मिळण्यासाठी
  • अध्याय ४८ - आर्त, अर्थार्थी, जिज्ञासु, मुमुक्षु यांना चारी पुरुषार्थ, सिद्धी यांसाठी
  • अध्याय ४९ - समस्त कर्म-दोषांपासून निवृत्ती
  • अध्याय ५० - गुरुनिंदा केल्यामुळे आलेले दारिद्रय दूर होण्यासाठी
  • अध्याय ५१ - जलगंडादिकापासून रक्षण
  • अध्याय ५२ - सर्व समस्या अप्रयत्नाने दूर होतील
  • अध्याय ५३ - महापातक नाशक

॥  श्रीपादराजं  शरणं  प्रपद्ये  ॥

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