Dec 7, 2018

श्री साई बावनी


॥ श्री गणेशाय नम: ॥ ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नमः ॥ 


जय ईश्वर जय साईं दयाल, तू ही जगत का पालनहार ।

दत्त दिगंबर प्रभु अवतार, तेरे बस में सब संसार ।

ब्रह्माच्युत शंकर अवतार, शरणागत का प्राणाधार ।

दर्शन दे दो प्रभु मेरे, मिटा दो चौरासी फेरे ।

कफनी तेरी एक साया, झोली काँधे लटकाया ।

नीम तले तुम प्रकट हुए, फ़कीर बन के तुम आये ।

कलयुग में अवतार लिया, पतित पावन तुमने किया ।

शिर्डी गाँव में वास किया, लोगों का मन लुभा लिया ।

चिलम थी शोभा हाथों की, बंसी जैसी मोहन की ।

दया भरी थी आँखों में, अमृत धारा बातों में ।

धन्य द्वारका वह माई, समा गए जहाँ साईं ।

जल जाता है पाप वहां, बाबा की है धुनी जहाँ ।

भुला भटका मैं अनजान, दो मुझको अपना वरदान ।

करुणा सिन्धु प्रभु मेरे, लाखों बैठे दर पे तेरे ।

अग्निहोत्री शास्त्री को चमत्कार तुमने दिखलाया ।

जीवन दान शामा पाया, जहर सांप का उतराया ।

प्रलय काल को रोक लिया, भक्तों को भयमुक्त किया ।

महामारी को बेनाम किया, शिर्डीपुरी को बचा लिया ।

प्रणाम तुमको मेरे ईश, चरणों में तेरे मेरा शीश ।

मन की आस पूरी करो, भवसागर से पार करो ।

भक्त भीमाजी था बीमार, कर बैठा था सौ उपचार ।

धन्य साईं की पवित्र उदी, मिटा गयी उसकी क्षय व्याधि ।

दिखलाया तुने विट्ठल रूप, काकाजी जो को स्वयं स्वरुप ।

दामू को संतान दिया, मन उसका संतुष्ट किया ।

कृपानिधि अब कृपा करो, दीन दयालू दया करो ।

तन मन धन अर्पण तुमको, दे दो सदगति प्रभु मुझको ।

मेघा तुमको न जाना था, मुस्लिम तुमको माना था ।

स्वयं तुम बनके शिवशंकर, बना दिया उसका किंकर ।

रोशनाई की चिरागों से, तेल के बदले पानी से ।

जिसने देखा आँखों हाल, हाल हुआ उसका बेहाल ।

चाँद भाई था उलझन में, घोड़े के कारण मन में ।

साईं ने की ऐसी कृपा, घोडा वो फिर से पा सका ।

श्रद्धा सबुरी मन में रखो, साईं साईं का नाम रटो ।

पूरी होगी मन की आस, कर लो साईं का नित्य ध्यान ।

जान के खतरा तात्या का, दान दिया अपनी आयु का ।

ऋण बायजाका चूका दिया, तुमने साईं कमाल किया ।

पशुपक्षी पर तेरी लगन, प्यार में तुम थे उनके मगन ।

सब पर तेरी रहम नज़र, लेते सब की खुद ही खबर ।

शरण में तेरे जो आया, तुमने उसको अपनाया । 

दिए है तुमने ग्यारह वचन, भक्तों के प्रति ले कर आन ।

कण-कण में तुमहो भगवान, तेरी लीला शक्ति महान ।

कैसे करू तेरे गुणगान, बुद्धि हीन मैं हूँ नादान ।

दीन दयालु तुम हो दाता, हम सब के तुम हो त्राता ।

कृपा करो अब साईं मेरे, चरणों में ले लो अब तुम्हारें ।

सुबह शाम साईं का ध्यान, साईं लीला के गुणगान ।

दीन भक्ति से जो गायेगा, परम पद को वह पायेगा ।

हर दिन सुबह और शाम को, गाये साईं बावनी को ।

साईं देंगे उसका साथ, लेकर अपने हाथों में हाथ ।

अनुभव तृप्ति के यह बोल, शब्द बड़े हैं यह अनमोल ।

यकीन जिसने मान लिया, जीवन उसने सफल किया ।

साईं शक्ति विराट स्वरुप, मन मोहक साईं का रूप ।

गौर से देखो तुम भाई, बोलो जय सदगुरु साईं

॥ ॐ श्री साईनाथाय नमः ॥ 


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